
मानव उद्धार के लिए संजीवनी है, श्रीमद्भागवत – पं रामशिरोमणि
. घुइसरनाथ धाम प्रतापगढ़: श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का स्वरुप है। भागवत का प्रत्येक श्लोक मानव जीवन के उद्धार के लिए संजीवनी स्वरुप है। यह बातें सांगीपुर क्षेत्र के पूरे तुला उपाध्यायपुर गांव में कैलाशनाथ उपाध्याय के संयोजन में आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास भागवतभूषण पं रामशिरोमणि पांडेय जी महराज ने कही।उंहोने भागवत महात्म्य का संक्षिप्त वर्णन करते हुए कहा कि इस अनमोल मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए भागवत कथा का श्रवण और अनुश्रवण करना चाहिए। ईश्वर की भक्ति में निष्काम होना आवश्यक है। निष्काम पूजन से ही ईश्वर मोक्ष का द्वार खोलता है। कथा व्यास ने इच्वाकुवंश की कथा का सारगर्भित वर्णन करते हुए भगवान श्रीराम के जन्म के उद्देश्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला। श्रीराम जन्म व श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का अद्भुत वर्णन किया। कथा के दौरान आध्यात्मिक भजनों की धुनि पर श्रोता भावविभोर नजर आये । मुख्य यजमान कैलाशनाथ उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।इस मौके पर कृष्णपाल, सूर्यपाल उपाध्याय, शम्भूनाथ, संदीप उपाध्याय, शिवप्रसाद तिवारी,अनूप, राजेन्द्र उपाध्याय आदि मौजूद रहे।





